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चुप्पी का समाजशास्त्र / जितेंद्र श्रीवास्तव
poemsindia
  • Mar 31
  • 3 min

चुप्पी का समाजशास्त्र / जितेंद्र श्रीवास्तव

घर प्रतीक्षा करेगा जो नहीं लौटे घर उनकी प्रतीक्षा करेगा यह सच बार-बार झांकेगा पुतलियों में जो समा गए धरती में जिन्हें पी लिया पानी ने जो...
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नगर के इस सबसे बड़े बाजार में किताबें और अखबार कहाँ मिलते है / आलोक पराड़कर की कविताएँ
poemsindia
  • Mar 30
  • 2 min

नगर के इस सबसे बड़े बाजार में किताबें और अखबार कहाँ मिलते है / आलोक पराड़कर की कविताएँ

गुमशुदा बाजारों से बच्चे ही गायब नहीं होते कई बार गायब हो जाता है भरा-पूरा कोना क्या कहीं लिखी जा सकती है यह प्राथमिकी कि कैसे भरे बाजार...
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नेटरा हाथ / कुमार मुकुल
poemsindia
  • Mar 26
  • 1 min

नेटरा हाथ / कुमार मुकुल

लेटा पढता होता हूं तो किताब उठाये रखता है दाहिना और हल्के थामे नेटरा पलटता चलता है पन्ना लिखते लिखते रूक जाती है कलम तब होंठों को सुसराता...
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सामान्यीकरण एवं अन्य कविताएँ / राहुल तोमर
poemsindia
  • Mar 10
  • 3 min

सामान्यीकरण एवं अन्य कविताएँ / राहुल तोमर

सामान्यीकरण संकेतों को समझना कभी आसान नहीं रहा तभी तो हम कभी ठीक से समझ नहीं पाए आँसुओ को न ही जान पाए कि हँसना हर बार ख़ुशी का इज़हार नहीं...
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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस – चार कविताएं
poemsindia
  • Mar 8
  • 3 min

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस – चार कविताएं

बच्चे, तुम अपने घर जाओ / गगन गिल बच्चे, तुम अपने घर जाओ घर कहीं नहीं है? तो वापस कोख़ में जाओ मां की कोख नहीं है? पिता के वीर्य में जाओ...
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ब्लैक शीप, देवेश पथ सारिया
poemsindia
  • Feb 28
  • 2 min

ब्लैक शीप, देवेश पथ सारिया

ब्लैक शीप (1) ख़ूब कंजूस होते हुए भी उन्होंने मुझे ख़रीदकर दी थी पुस्तक- ‘महाभारत के कुछ आदर्श पात्र’ और वे चाहते थे कि कर्ण मेरा आदर्श न...
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अकेला आदमी / सत्यम तिवारी
poemsindia
  • Feb 10
  • 2 min

अकेला आदमी / सत्यम तिवारी

अकेला आदमी धूप अविलंब खा जाती है उसकी परछाई बारिश चुपचाप मिटा देती है उसके पदचापों के निशान अकेला आदमी ख़ुद का पीछा करते हुए भी अकेला...
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तुमसे मिलना / देवांश एकांत
poemsindia
  • Feb 8
  • 3 min

तुमसे मिलना / देवांश एकांत

१ तुमसे मिलने से पहले तुमसे मिलने वाले दिन अन्य सभी क्रियाएँ छुट्टी पर चली जाती हैं एक ध्वनि उफनती है भीतर गिरजाघर के पवित्र स्वर सी जो...
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अभिजीत सिंह की कविताएं
poemsindia
  • Jan 31
  • 5 min

अभिजीत सिंह की कविताएं

अभिजीत सिंह की कविताएं जब दुःख पैर पकड़ता है अचानक ही हाथ काँपने लगते हैं दौड़ कर पकड़ने के लिए पास खड़ी दीवार के पैर मानो होंठ तक यह देह...
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भोपाल-कुछ लैण्ड स्केप्स / हेमन्त देवलेकर
poemsindia
  • Jan 1
  • 2 min

भोपाल-कुछ लैण्ड स्केप्स / हेमन्त देवलेकर

सुंदरता वह प्रतिभा है जिसे रियाज़ की ज़रूरत नहीं भोपाल ऐसी ही प्रतिभा से सम्पन्न और सिद्ध. यह शहर कविताएँ लिखने के लिये पैदा हुआ आप इसे...
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अनुराग अनंत की कविता ‘महामारी के दिनों में’
poemsindia
  • Dec 31, 2021
  • 5 min

अनुराग अनंत की कविता ‘महामारी के दिनों में’

Courtesy : Dawn एक मैं कहाँ हूँ इन दिनों  पूछोगे, तो बता नहीं पाऊँगा आँखों के नीचे जमता जा रहा है  जागी हुई रातों का मलबा  सिर में...
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महामृत्यु में अनुनाद । देवेश पथ सारिया
poemsindia
  • Dec 30, 2021
  • 2 min

महामृत्यु में अनुनाद । देवेश पथ सारिया

Photo : Press Trust Of India महामारी के दौरान भी हो रहे होंगे निषेचन बच्चे जो सामान्य परिस्थितियों में गर्भ में न आते आएँगे इस दुनिया में...
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बीड़ । शुभम नेगी
poemsindia
  • Dec 29, 2021
  • 1 min

बीड़ । शुभम नेगी

बीड़, उत्तर भारत में हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले में जोगिंदर नगर घाटी के पश्चिम में स्थित एक गांव है। बीड़ को “भारत का पैराग्लिडिंग...
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मेरे अंदर औरत । अभिजीत सिंह
poemsindia
  • Oct 2, 2021
  • 4 min

मेरे अंदर औरत । अभिजीत सिंह

El Jardin, Judithe Hernandez खुल गयी देह देह में छिपे कमरों का भेद कपड़ों का बे-तरतीब तौर से उतरना लिख दिया गया हड़बड़ाहट लिख दी गयी उनके...
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बोन्साई वाले बरगद । उज्ज्वल शुक्ला
poemsindia
  • Oct 2, 2021
  • 1 min

बोन्साई वाले बरगद । उज्ज्वल शुक्ला

मैंने देखा था बड़े बरगद का काटे जाना आज भी एक बड़ा दांतेदार आरा मेरे मस्तिष्क पर अपने दांत फँसाए हुए है पूरे गाँव में एक अकेला बरगद बाकी...
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वितानमय । मनीष कुमार यादव
poemsindia
  • Oct 2, 2021
  • 1 min

वितानमय । मनीष कुमार यादव

The Goldfinch by Carel Fabritius निष्ठुरताओं से घिरा भयभीत मन धैर्य का अभिनय कर रहा है अवमुक्त होने के सन्दर्भ में कुछ स्मृतियाँ कुछ...
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तुम्हारा दुःख और मैं । देवांश एकांत
poemsindia
  • Sep 7, 2021
  • 2 min

तुम्हारा दुःख और मैं । देवांश एकांत

Plum Trees in Blossom by Camille Pissarro, 1894 तुम्हारी आँख से ढलका आँसू पृथ्वी पर गिरते ही बन गया हरसिंगार का फ़ूल मैं यह देख उत्सुक...
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तुम्हारे लिए मेरा प्रेम
poemsindia
  • Jul 30, 2021
  • 1 min

तुम्हारे लिए मेरा प्रेम

Artwork by Sunita तुमको लिखी सभी कविताओं में भर-भर के कहना चाहा है कि तुमसे बेहद प्यार करता हूँ पर कह नहीं पाता अटता ही नहीं कहीं भी...
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बचपन पकी नींद में सोता था
poemsindia
  • Jul 30, 2021
  • 1 min

बचपन पकी नींद में सोता था

Edward Hopper, Little Boy Looking at the Sea (1891) १. मेरे बचपन का घर बहुत बड़ा नहीं था लेकिन बचपन बहुत बड़ा था। २. बचपन बेचैन था जवानी...
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अपवाद या सिद्धांत
poemsindia
  • Jul 28, 2021
  • 2 min

अपवाद या सिद्धांत

अंतर्मन के बरगद से तुम्हारी स्मृतियों की टहनियाँ काटते-काटते न जाने कितने वर्ष गुज़र गये खिड़की से बाहर पृथ्वी की परिक्रमा करता चंद्रमा...
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