poemsindiaMar 313 minचुप्पी का समाजशास्त्र / जितेंद्र श्रीवास्तव घर प्रतीक्षा करेगा जो नहीं लौटे घर उनकी प्रतीक्षा करेगा यह सच बार-बार झांकेगा पुतलियों में जो समा गए धरती में जिन्हें पी लिया पानी ने जो...
poemsindiaMar 302 minनगर के इस सबसे बड़े बाजार में किताबें और अखबार कहाँ मिलते है / आलोक पराड़कर की कविताएँगुमशुदा बाजारों से बच्चे ही गायब नहीं होते कई बार गायब हो जाता है भरा-पूरा कोना क्या कहीं लिखी जा सकती है यह प्राथमिकी कि कैसे भरे बाजार...
poemsindiaMar 261 minनेटरा हाथ / कुमार मुकुल लेटा पढता होता हूं तो किताब उठाये रखता है दाहिना और हल्के थामे नेटरा पलटता चलता है पन्ना लिखते लिखते रूक जाती है कलम तब होंठों को सुसराता...
poemsindiaMar 103 minसामान्यीकरण एवं अन्य कविताएँ / राहुल तोमर सामान्यीकरण संकेतों को समझना कभी आसान नहीं रहा तभी तो हम कभी ठीक से समझ नहीं पाए आँसुओ को न ही जान पाए कि हँसना हर बार ख़ुशी का इज़हार नहीं...
poemsindiaMar 83 minअंतरराष्ट्रीय महिला दिवस – चार कविताएंबच्चे, तुम अपने घर जाओ / गगन गिल बच्चे, तुम अपने घर जाओ घर कहीं नहीं है? तो वापस कोख़ में जाओ मां की कोख नहीं है? पिता के वीर्य में जाओ...
poemsindiaFeb 282 minब्लैक शीप, देवेश पथ सारिया ब्लैक शीप (1) ख़ूब कंजूस होते हुए भी उन्होंने मुझे ख़रीदकर दी थी पुस्तक- ‘महाभारत के कुछ आदर्श पात्र’ और वे चाहते थे कि कर्ण मेरा आदर्श न...
poemsindiaFeb 102 minअकेला आदमी / सत्यम तिवारीअकेला आदमी धूप अविलंब खा जाती है उसकी परछाई बारिश चुपचाप मिटा देती है उसके पदचापों के निशान अकेला आदमी ख़ुद का पीछा करते हुए भी अकेला...
poemsindiaFeb 83 minतुमसे मिलना / देवांश एकांत १ तुमसे मिलने से पहले तुमसे मिलने वाले दिन अन्य सभी क्रियाएँ छुट्टी पर चली जाती हैं एक ध्वनि उफनती है भीतर गिरजाघर के पवित्र स्वर सी जो...
poemsindiaJan 315 minअभिजीत सिंह की कविताएंअभिजीत सिंह की कविताएं जब दुःख पैर पकड़ता है अचानक ही हाथ काँपने लगते हैं दौड़ कर पकड़ने के लिए पास खड़ी दीवार के पैर मानो होंठ तक यह देह...
poemsindiaJan 12 minभोपाल-कुछ लैण्ड स्केप्स / हेमन्त देवलेकरसुंदरता वह प्रतिभा है जिसे रियाज़ की ज़रूरत नहीं भोपाल ऐसी ही प्रतिभा से सम्पन्न और सिद्ध. यह शहर कविताएँ लिखने के लिये पैदा हुआ आप इसे...
poemsindiaDec 31, 20215 minअनुराग अनंत की कविता ‘महामारी के दिनों में’Courtesy : Dawn एक मैं कहाँ हूँ इन दिनों पूछोगे, तो बता नहीं पाऊँगा आँखों के नीचे जमता जा रहा है जागी हुई रातों का मलबा सिर में...
poemsindiaDec 30, 20212 minमहामृत्यु में अनुनाद । देवेश पथ सारियाPhoto : Press Trust Of India महामारी के दौरान भी हो रहे होंगे निषेचन बच्चे जो सामान्य परिस्थितियों में गर्भ में न आते आएँगे इस दुनिया में...
poemsindiaDec 29, 20211 minबीड़ । शुभम नेगीबीड़, उत्तर भारत में हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले में जोगिंदर नगर घाटी के पश्चिम में स्थित एक गांव है। बीड़ को “भारत का पैराग्लिडिंग...
poemsindiaOct 2, 20214 minमेरे अंदर औरत । अभिजीत सिंहEl Jardin, Judithe Hernandez खुल गयी देह देह में छिपे कमरों का भेद कपड़ों का बे-तरतीब तौर से उतरना लिख दिया गया हड़बड़ाहट लिख दी गयी उनके...
poemsindiaOct 2, 20211 minबोन्साई वाले बरगद । उज्ज्वल शुक्लामैंने देखा था बड़े बरगद का काटे जाना आज भी एक बड़ा दांतेदार आरा मेरे मस्तिष्क पर अपने दांत फँसाए हुए है पूरे गाँव में एक अकेला बरगद बाकी...
poemsindiaOct 2, 20211 minवितानमय । मनीष कुमार यादवThe Goldfinch by Carel Fabritius निष्ठुरताओं से घिरा भयभीत मन धैर्य का अभिनय कर रहा है अवमुक्त होने के सन्दर्भ में कुछ स्मृतियाँ कुछ...
poemsindiaSep 7, 20212 minतुम्हारा दुःख और मैं । देवांश एकांतPlum Trees in Blossom by Camille Pissarro, 1894 तुम्हारी आँख से ढलका आँसू पृथ्वी पर गिरते ही बन गया हरसिंगार का फ़ूल मैं यह देख उत्सुक...
poemsindiaJul 30, 20211 minतुम्हारे लिए मेरा प्रेमArtwork by Sunita तुमको लिखी सभी कविताओं में भर-भर के कहना चाहा है कि तुमसे बेहद प्यार करता हूँ पर कह नहीं पाता अटता ही नहीं कहीं भी...
poemsindiaJul 30, 20211 minबचपन पकी नींद में सोता थाEdward Hopper, Little Boy Looking at the Sea (1891) १. मेरे बचपन का घर बहुत बड़ा नहीं था लेकिन बचपन बहुत बड़ा था। २. बचपन बेचैन था जवानी...
poemsindiaJul 28, 20212 minअपवाद या सिद्धांतअंतर्मन के बरगद से तुम्हारी स्मृतियों की टहनियाँ काटते-काटते न जाने कितने वर्ष गुज़र गये खिड़की से बाहर पृथ्वी की परिक्रमा करता चंद्रमा...