Jun 23, 2022Hindiमेरी रगों पर उसकी चुभन का क़र्ज़ रक्खा है, अभिजीत की कविताएँबिल्ली का ख़्वाब टूटता हुआ देखती हूँ पाती हूँ स्वयं को घूरते हुए दूध के भगोने में गर्मी बहुत है दूध की नींद उड़ चुकी है आज खाने की थाली म