सैफ़ अंसारी
मरा क्यों नहीं?
एक सर्द रात में
मैंने उस पेड़ को छुआ
उसका तना ठण्डा था !
वह ठण्ड से मरा क्यों नहीं?
उसके पत्ते झड़ चुके थे
सूखा नहीं था!
वह ठण्ड से मरा क्यों नहीं?
मैंने फिर
ज़मीन पर बिछी
उसकी जड़ों को देखा
ठीक सामने
ऐसा ही कोई एक पेड़ था
मुझे लगा
दोनों ने ज़मीन के भीतर
एक-दूसरे की जड़ों को
थाम रखा था अंदर कहीं शायद।
किसी के दुःख में
भीतर-ही-भीतर
किसी को
थामे रखना
यह मैंने पेड़ों से सीखा !
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