तुम्हारा दुःख और मैं । देवांश एकांत
Plum Trees in Blossom by Camille Pissarro, 1894 तुम्हारी आँख से ढलका आँसू पृथ्वी पर गिरते ही बन गया हरसिंगार का फ़ूल मैं यह देख उत्सुक...
तुम्हारा दुःख और मैं । देवांश एकांत
तुम्हारे लिए मेरा प्रेम
बचपन पकी नींद में सोता था
अपवाद या सिद्धांत
अब दिन और रात पृथ्वी के घूमने से नहीं होते, मशीनों के घूमने से होते हैं
गैलेक्सी के छोर पर खड़े होकर तुम से प्रेम करने का कारण ढूंढना तारों की गिनती करने जैसा है
पिता लगभग नदी होते हैं
दीदी! यहाँ क्यों छूता है चाचा
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