आत्मा के कोलतार से रास्ता बनाती कविता
ब्रम्हांड में एक स्त्री होती है जिसमें पूरा ब्रम्हांड होता है
चीज़ों में बढ़ती जा रही है जगह लेने की होड़
मेरी रगों पर उसकी चुभन का क़र्ज़ रक्खा है, अभिजीत की कविताएँ
किसी के दुःख में भीतर-ही-भीतर किसी को थामे रखना, यह मैंने पेड़ों से सीखा — सैफ़ अंसारी की कविताएँ
चुप्पी का समाजशास्त्र / जितेंद्र श्रीवास्तव
मन की परतों को उघाड़ती कहानियाँ
ताइवान के प्रति जिज्ञासा और प्रेम जगाती कविताएँ
मूनलाइट, स्वयं की ख़ोज
अलीगढ़ – रूढ़ियों और सामाजिक पाखंड की सच्ची तस्वीर
हस्तकला शिल्प और तकनीक का सहास्तित्व
भोगे हुए यथार्थ के दुःख की नींव में हमेशा एक चिंगारी होती है - (अक्करमाशी, शरणकुमार लिंबाले)