Mar 9Hindiचूमकर ही माँगूँगा माफ़ी — कुशाग्र अद्वैत की कविताएं फूलों जैसे पिता फूलों जैसे पिता फूल बेचते हैं शहर की सबसे शांत सड़क पर अकेले बैठ मालाएँ गूँथते हैं गुलदस्ते बाँधते हैं ऊपर सेमल झीनी छाया...